मौसमी उतार-चढ़ाव मौसमी बुखार से कैसे बचें – बदलते मौसम के कारण शरीर में भी कई तरह के बदलाव आना शुरू हो जाते हैं|और इस बदलाव के कारण हमें कई तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है| बदलते मौसम के कारण मच्छरों का प्रकोप और मौसमी बुखार होने लगता है |बुखार भी एक तरह का नहीं होता है| बुखार भी कई तरह का होता है |सबसे सामान्य जो है, वायरल फीवर और फ्लू जिसमें नाक से छींक आना ,गला खराब होना ,इसके अलावा मच्छरों से होने वाला मौसमी बुखार चिकनगुनिया, मलेरिया, डेंगू,और टाइफाइड, कॉलरा ,हैजा |ऐसे मौसम में एलर्जी और इन्फेक्शन होने का खतरा भी बढ़ जाता है |इसीलिए आपको ध्यान रखना होगा कि डॉक्टर के परामर्श के बिना कोई भी दवा ना ले |क्योंकि अगर आप अपने मन से दवा लेते हैं, तो हो सकता है, कि आपका बुखार बिगड़ भी जाए |क्योंकि आपको पता नहीं है, कि बुखार आने का कारण क्या है |क्या बुखार मच्छरों के काटने से आया है |या कोई इन्फेक्शन या एलर्जी के कारण आया है|
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आज हम इस पोस्ट में आपको बताएंगे कि बदलते मौसम के कारण हमारा शरीर जल्दी मौसमी बुखार की चपेट में क्यों आ जाता है |और कैसे हम इनके खतरे से बच सकते हैं|
मौसमी बुखार के कारण-
1)बदलते मौसम के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, इसीलिए हमें एलर्जी और इंफेक्शन का खतरा बढ़ने लगता है|
2)बदलते मौसम के कारण हमारा डाइजेस्टिव सिस्टम भी कमजोर होने लगता है |और इसी वजह से हमें खाना भी मौसम के हिसाब से खाना चाहिए| क्योंकि अगर हम खाना मौसम के हिसाब से नहीं खाते हैं, तो हमारा खाना पचने में दिक्कत आती है| और जब खाना ठीक से नहीं बचेगा तो कई तरह की बीमारियां पैदा करेगा |
3)बदलते मौसम के कारण कई लोगों को इंफेक्शन, एलर्जी हो सकती है जैसे- नाक में ,गले में ,स्किन में ,पेट में |
4)बदलते मौसम का असर सबसे ज्यादा बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ता है ,क्योंकि उनकी इम्यूनिटी इतनी मजबूत नहीं होती है |और ना ही उनका डाइजेस्टिव सिस्टम इतना मजबूत होता है इसलिए ये जल्दी इनकी चपेट में आ जाते हैं| मौसम में नमी के कारण मच्छर, बैक्टीरिया और वायरस तेजी से बढ़ने लगते हैं इसलिए नमी के कारण कई प्रकार के कीटाणु पैदा होने लगते हैं इसीलिए जब मौसम ठंडा गर्म होता है तो कई तरह के वायरल इन्फेक्शन ,बुखार होने लगते हैं
5)एलर्जी इस मौसम में सबसे ज्यादा होती है| हम मौसम को तो बदल नहीं सकते लेकिन हम अपने खान-पान को बदले तो जरूर हम एलर्जी और इन्फेक्शन के खतरे से अपने आप को बचा सकते हैं बारिश के मौसम में एलर्जी के कारण छींक आना ,नाक से पानी बहना ,आंखों में जलन होना लक्षण होते हैं और कुछ टाइम बाद लक्षण चले भी जाते हैं|
6)मौसम में बदलाव के कारण हमें अपने खानपान में भी बदलाव करना होगा क्योंकि डाइजेस्टिव सिस्टम कमजोर होने के कारण हमें ऐसी चीजों का सेवन करना है जो आसानी से पच जाए जैसे-खिचड़ी ,पोहा ,सब्जियों के सूप मूंगफली ,सत्तू ,फ्रूट्स ,हरी सब्जियां|
मौसमी बुखार-
सबसे पहले हम जानते हैं ,की इस बदलते मौसम के कारण जो मौसमी बुखार हमें परेशान करते हैं वह कौन-कौन से हैं|
1)टाइफाइड:
टाइफाइड गंदा पानी और गंदे खाने की वजह से होता है |और जब हम गन्दी चीजो का सेवन करते है, तो पेट में इंफेक्शन हो जाता है|इसके लक्षण तेज बुखार के साथ पेट में दर्द ,लूज मोशन, पेट में छाले भी हो सकते हैं|इसके लिए आप पहले आप धनिया का पानी पीना आपके लिए फायदेमंद होगा और सौंफ का पानी ,गिलोय का जूस या फिर गिलोय का काढ़ा बनाकर भी पी सकते हैं |टाइफाइड में आसानी से पचने वाली चीजें खानी है औए साथ ही साथ मिर्ची, अचार और खटाई खाने से परहेज करना है|
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2)मलेरिया:
मलेरिया मादा एनाफिलीज के काटने से होता है| यह मच्छर आमतौर पर दिन ढलने के बाद काटते हैं |इसके लक्षण ठंड के साथ तेज बुखार आना ,कपकपी महसूस होना ,शरीर में दर्द होना, उल्टी होना और मलेरिया में ऐसा नहीं है कि रोजाना बुखार रहता है बल्कि आज अगर बुखार है तो एक-दो दिन शायद बुखार ना आए बुखार में उतार-चढ़ाव रहता है |इसके लिए आप 4 से 5 नीम के पत्ते दिन में दो बार चबा चबा कर खाए या फिर तुलसी और अदरक पानी में उबाल कर पिए |इससे आपको बहुत आराम मिलेगा |
3)डेंगू:
डेंगू मादा एडिस मच्छर के काटने से होता है |इसके लक्षण कमजोरी इम्युनिटी की वजह से बुखार आता है| इसमें तेज बुखार के साथ-साथ गर्दन में और सिर में तेज दर्द होता है |डेंगू में प्लेटलेट डाउन होने लगते हैं | इसलिए प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए आप पपीते के पत्तों का जूस पीना लाभदायक होता है और साथ ही साथ गिलोय का जूस पीना भी बहुत फायदेमंद है|
4)चिकनगुनिया:
चिकनगुनिया में खासतौर जोड़ों में दर्द होता है|साथ में हड्डियों में दर्द होता है |और दर्द लंबे समय तक बना रहता है |तेज बुखार के साथ पेट खराब होना, तलवों में जलन ,सिर में दर्द ,त्वचा पर रैशेज, उल्टी आना ,आंखों में लालपन आना |इसमें लौंग का पानी उबालकर पीना चाहिए इससे आपको बहुत फायदा होगा |इसमें तिल का तेल या फिर सरसों के तेल को गर्म करके जोड़ो में मालिश करना चाहिए| इसके अलावा आप नींबू और हल्दी का चूर्ण बनाकर सुबह शाम गुनगुने पानी के साथ सेवन करें|
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5) वायरल फीवर:
वायरल फीवर एक कॉमन फीवर होता है |आमतौर पर मौसम बदलने के साथ ये फीवर होता है |इसके लक्षण हल्का बुखार ,खांसी ,गला बुखार ,सिर दर्द ,कमजोरी ,थकान |इसमें कभी-कभी तेज बुखार भी हो सकता है |इसके लिए आप पानी की पट्टी सिर पर रखें |इसके अलावा तुलसी के पत्तों का पेस्ट बनाकर शहद में मिलाकर ले |अदरक और धनिया को एक कप पानी में उबालकर के पिए और अगर गला खराब हो तो मेथी दाने का काढ़ा बनाकर गरारे करें|
मौसमी बुखार से बचने के क्या करे-
मौसमी बुखार से बचने के लिए हम आपको कुछ घरेलु उपाय और सावधानिया बता रहे है| ऐसा नहीं है की जिनको एलर्जी या इन्फेक्शन या बुखार हो |तभी आप इनका इस्तेमाल करे |बल्कि वो भी करे जो बीमार नहीं है ,क्योकि इसका सेवन आपको कोई नुकसान नहीं पहुचायेगा बल्कि इसके सेवन से आप मौसमी बुखार से बच सकते है |
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- बारिश के मौसम में ज्यादातर तली हुई चीजों का सेवन ना ही करें तो बेहतर है |और साथ में जंक फूड का सेवन भी ना करें| क्योंकि ऐसे ऐसी चीजों का सेवन करने से इम्यूनिटी नहीं बढ़ती है बल्कि आपको परेशानी उठानी पड़ती है|
- ऐसे मौसम में कुछ लोगों को सांस लेने में बड़ी कठिनाई होती है इसीलिए आप भाप ले सकते हैं और साथ ही साथ आप डॉक्टर से परामर्श भी कर सकते हैं
- अपने पूरे शरीर में तेल से मालिश करें इससे इम्यूनिटी बढ़ती है |साथ ही साथ अपने बालों में भी आप तेल लगाकर उनकी अच्छे से मालिश करें|
- ज्यादा तेज बुखार होने के कारण आप सिर पर पानी की गीली पट्टियां रखें और साथ ही साथ हाथ और पैरों पर भी ठंडी पत्तियों से रगड़े|
- आपको इम्युनिटी बढ़ाने के लिए रोजाना च्यवनप्राश का सेवन करना चाहिए|
- ज्यादा एंटीबायोटिक खाने से आपका पेट खराब हो सकता है |लीवर में प्रॉब्लम हो सकती है |एसिडिटी और कब्ज बढ़ सकता है |इसलिए ज्यादा एंटीबायोटिक लेने के बजाय आप तुलसी ,अदरक और हल्दी का सेवन करें क्योंकि यह भी एक एंटीबायोटिक ही है|
- एलर्जी और इंफेक्शन से बचने के लिए आपको शरीर की सफाई के साथ-साथ घर की साफ सफाई रखना भी बहुत जरूरी है| मच्छर से बचने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें| मच्छर से बचने के लिए गंदा पानी जमा ना होने दें घर की साफ-सफाई जरूर रखें मच्छर से बचने के लिए फूल स्लीप के कपड़े पहने |नीम का तेल लगाएं|
- एलर्जी और इंफेक्शन से बचने के लिए आप शहद के साथ सुबह और शाम एक एक चम्मच सौंठ,काली मिर्ची और पिपली का सेवन का सेवन करें |
- बदलते मौसम के कारण बुखार ,एलर्जी और इंफेक्शन से बचने के लिए आप हल्दी नींबू और आंवले का चूर्ण बनाकरआपको सुबह-शाम सेवन करना है|
- बुखार एलर्जी और इंफेक्शन से बचने के लिए तुलसी के पत्तों का रस थोड़ा अदरक का रस काली मिर्च का पाउडर और लौंग मिलाकर शहद के साथ सुबह शाम लेना है|
- इसके अलावा आप तुलसी के पत्तों का पेस्ट बनाकर भी शहद के साथ ले सकते हैं|
- धनिया ,सौंफ ,जीरा, अदरक और मेथी को पानी में उबालकर लेना भी आपके लिए बहुत फायदेमंद होगा|
- खांसी और बलगम से राहत पाने के लिए पानी में एक चम्मच शहद डालकर पीने से आपको खांसी और बलगम से राहत मिलेगी|
- गले की खराश के लिए आप मुलेठी का रस या फिर मुलेठी की डंडी को चूसने से इसे आप गले की खराश से छुटकारा पा सकते हैं|अगर आपको सूखी खांसी है तो ताजा अदरक में नमक डालकर चूसने से आप को बहुत राहत मिलेगी| इसके अलावा किशमिश और मुनक्का मुंह में रखकर चूसने से भी आपको फायदा होगा|
- सोंठ का चूर्ण आधा चम्मच शहद में मिलाकर सेवन करें गर्म पानी से सेवन करना है |
- सर्दी जुकाम के लिए आप ताजा अदरक का रस में शहद मिलाकर दिन में तीन से चार बार ले सकते हैं|